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श्रीभगवती सूत्र
[६५४ तात्पर्य यह है कि अनन्तानुवन्धी चौकड़ी का उदय होने पर पांच, अप्रत्याख्यानावरण चौकड़ी के उदय में चार, प्रत्याख्यान चौकड़ी की विद्यमानता में तीन क्रियाएँ लगती - है.। जव कपाय की निवृति हो जाती हैं तर क्रिया की भी । निवृत्ति हो जाती है। __ . गौतम स्वामी प्रश्न करते हैं भगवन ! तिथंच पञ्चेन्द्रिय विवेकहीन और विकल माने जाते हैं, इसलिए क्या सब पञ्चन्द्रिय तिर्यंच जीव समान किया वाले हैं? वे सब समान कर्मवंध करते हैं या कम-ज्यादा? इस प्रश्न के उत्तर में भगवान् ने फर्माया है-हे गौतम! सव पंचेन्द्रिय तिर्यंच समान क्रिया वाले नहीं है, क्योंकि उनके तीन भेद हैं-उनमें कोई सम्यग्दृष्टि: है, कोई मिथ्यादृष्टिं हैं, कोई मिश्रदृष्टिं हैं। सम्यग्दृष्टि भी दो प्रकार के हैं, कोई संयतासंयत हैं और कोई असंयत हैं। संयतासंयत के पूर्वोक्त तीन, असंयत सम्यग्दृष्टि के चार तथा मिथ्यादृष्टि और मिश्रदृष्टि के पांचों क्रियाएँ लगती हैं। .