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________________ ६४१ ] पृथ्वीकाय की समानता है ? प्रश्न-पृथिवीकायिका भगवन् ! सर्वे समक्रियाः ? उत्तर-हन्त, समक्रियाः । प्रश्न-तत्केनार्थेन ? उत्तर-गौतम ! पृथिवीकायिकाः सर्वे मायिनो मिध्यादृष्टयः । तैर्नियतिकाः पञ्च क्रियाः क्रियन्ते, तद्यथा-प्रारम्भिकी यावद् मिध्यादर्शनप्रत्यया ।. तत्तेनार्थेन । समायुष्काः, समोपपन्नकाः, यथा नैरयिकास्तया भणितव्याः। ... मूलार्थ-पृथिवीकाय के जीवों का आहार, कर्म, वर्ण और लेश्या नारकियों के समान समझना चाहिए। . प्रश्न--भगवन् ! थिवीकायिक अब समान वेदना वाले हैं ? A.. उत्तर-हाँ गौतम ! समान वेदना वाले हैं। .. , प्रश्न भगवन् ! किस कारण से समान वेदना वाले हैं ? (ऐसा कहा जाता है ) .. .:: उत्तर-गौतम ! सब पृथिवीकायिक जीव असंज्ञी हैं और असंज्ञिभूत वेदना को अनिर्धारित रूप से वेदते हैं, इस कारण हे गौतम ! ऐसा पूर्वोक्तं कहा गया है। . .
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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