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समकादि प्रश्नोत्तर वर्ण में आ चुकी है। इस प्रकार जो जीव नरक में पहले उत्पन्न
हो चुका है उसकी भाव लेश्या पश्चात् उत्पन्न होने वाले जीव । की अपेक्षा शुद्ध है और पश्चात् उत्पन्न होने वाले की भाष
लेश्या पूर्वोत्पन्न की अपेक्षा अशुद्ध है।
उदाहरणार्थ-एक मनुष्य पहले जेल गया और दूसरा बाद में गया। पहले जेल जाने वाला प्रारम्भ में घवराया होगा, मगर उसके कारावास के दिन व्यतीत होते जात हैं, वैसे-वैले उसे शान्ति मिलती है और उसकी लेश्या शुद्ध होती जाती है। लेकिन जो मनुष्य हाल ही जेल में गया है, उसे पहले वाले की भांति शान्ति नहीं हुई है। अतएव उसकी लेश्या पेक्षाकृत अधिक अशुद्ध है।
यही वात नरक के जीव के लिए है । नरक के जीव की लेश्या भी अपेक्षाकृत ही शुद्ध और अशुद्ध बतलाई गई है। सामान्य रूप से तो नरक में अशुद्ध लेश्या ही पाई जाती है, मगर अधिक अशुद्ध की अपेक्षा कम अशुद्ध लेश्या को यहां शुद्ध लेश्या कहा है।
शुद्ध और श्रशुद्ध लेश्या किसे समझना चाहिए, इस बात पर संक्षेप में विचार किया जाता है । एमारे अन्तःकरण में जो भावना, वासना या इच्छा होती ,वह लेश्या कहलाती है।
सुना गया है कि वैज्ञानिक आज कल मन की भावनाओं का भी फोटो लेते हैं। कहा जाता है कि पहले फोटोग्राफरों को यह पता नहीं था कि मन के विकल्पों का चित्र खींचा जा सकता है, मगर एक घटना ऐसी घटी कि जिस