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श्रीभगवती सूत्र
[६०८] मूलार्थ-प्रश्न-भगवन् ! सत्र नारकी समान कर्म वाले हैं ?
उत्तर-गौतम ! यह समर्थ नहीं है ! प्रश्न-भगवन् ! किस कारण से ?
उत्तर-गौतम ! नारकी जीव दो प्रकार के कहे गये हैं । वह इस प्रकार-पूर्वोपपन्नक-पहले उत्पन्न हुए, और पश्चादुपपन्नक-पीछे उत्पन्न हुए। इनमें जो नरयिक पूर्वोपपन्नक हैं वे अल्प कर्म वाले हैं और जो पश्चादुपपन्नक हैं वे महाकर्म वाले हैं । इसलिए हे गौतम! इस हेतु से यह , कहा जाता है कि-'नारकी सब समान कर्म वाले नहीं हैं ?
प्रश्न-भगवन् ! सब नारकी समान वर्ण वाले हैं ? उत्तर-गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है।
प्रश्न-भगवन् ! सो किस कारण से ?-( ऐसा कहा जाता है कि सब नारकी समान वर्ण वाले नहीं है ?)
उत्तर-गौतम ! नारकी दो प्रकार के हैं-पूर्वोपपन्नक और पश्चादुपपन्नक । उनमें जो पूर्वोपपन्नक हैं वे विशुद्ध वर्ण • वाले और जो पश्चादुपपन्नक हैं वे अविशुद्ध वर्ण वाले हैं ।
इस लिए गौतम! ऐसा कहा गया है।