________________
[ ५९६ ]
श्रीभगवती सूत्र
ही भोगी जाती है, दूसरे की आयु कोई नहीं भोग सकता । अपनी उपार्जन की हुई आयु में से भी किसी आयु का भोग होता है, किसी का नहीं होता । उदाहरणार्थ- कोई मनुष्य यहाँ मौजूद है लेकिन उसने स्वर्ग की आयु बांध ली है। वह पहले बँधी मनुष्य श्रायु को भोग रहा है और अभी बँधी देव-आयु को नहीं भोग रहा है-आगे भोगेगा, क्योंकि उसका उदय अभी नहीं आया है। चौबीसों दण्डकों के लिये- श्रायु के विषय में यही बात समझनी चाहिए ।