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त्रांन्द्रिय आदि वर्णनउत्तर- हे गौतम! सब से कम नहीं सूंघे हुए पुद्गल हैं, उनसे अनन्तगुने नहीं चखे हुए और उनसे अनन्तगुने नहीं स्पर्श किये हुए पुद्गल हैं। तीन इन्द्रिय वाले जीवों द्वारा खाया हुआ आहार घ्राणेन्द्रिय के रूप में, जिह्वा इन्द्रिय के रूप में और स्पर्श-इन्द्रिय के रूप में बार-बार परिणत होता है । चार इन्द्रिय वाले जीवों द्वारा खाया हुआ आहार आँख, नाक, जीभ और स्पर्शनेन्द्रिय के रूप में बार-बार परिणत होता है।