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________________ श्रीभगवती सूत्र [४६४] उत्तर--गौतम! आस्वाद में नहीं आने वाले पुद्गल सब से कम हैं और स्पर्श में नहीं आये हुए पुद्गल उनस अनन्तगुने हैं। प्रश्न-भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीव जिन पुद्गलों को. आहार रूप में ग्रहण करते हैं, वे पुद्गल किस रूप में पलटते हैं? उत्तर--गोतम ! जिह्वा इन्द्रिय और स्पर्शेन्द्रिय के रूप में पलट जाते हैं। प्रश्न-भगवन्! द्वीन्द्रिय जीव द्वारा पहले ग्रहण किये हुए पुद्गल परिणत हुए-पलटे हैं ? उत्तर-- यह सब वक्तव्य पहले की भाँति ही सम.. झना । यावत् चलित कर्म की निर्जरा होती है। IIFIEI.PEERI . . . . .. . . .. . . . .. .. . . .. . . . . . . . Tra... RESPOSUR
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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