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कालचलितादि-सूत्र . चौथा प्रश्न है-तीव रस कामंद रसादि श्रचलित कर्म का होता है या चलित कर्म का ? इस प्रश्न का भी वही उत्तर है कि प्रचलित कर्म का होता है, चलित का नहीं।
इसी प्रकार पाँचवाँ प्रश्न संक्रमण का, छठा निघत्त का और सातवाँ निकाचित का है। इन सब प्रश्नों का उत्तर एक ही है अचलित कर्म का ही संक्रमण, निघतन, और निकाचन होता है।
आठवाँ प्रश्न निर्जरा के संबंध में है। निर्जरा चलित कर्म की होती है, अचलित की,नहीं। आत्मप्रदेशों से कर्मपुद्गलों को हटा देंना निर्जरा है । श्रचलित कर्म आत्मप्रदेश से हटते नहीं है, चलित कर्म ही हटते हैं । इसलिए निर्जरा चलित कर्म की होती है, अचलित कर्म की.नहीं।
इन पाठ प्रश्नों की संग्रह-गाथा में यही बात कही गई है। बंध-उदय, वेदना, उंदीरणा, अपवन, संक्रमण, निधत्त
और निकाचित, इन सात प्रश्नों में प्रचलित कर्म कहना चाहिए और आठवें प्रश्न-निर्जरामचलित कर्म कहना चाहिए।