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आहार-परिणमन कर्स के फल को भोगना वेदना है। जिस समय से कर्म-फल का भोग प्रारंभ होता है और जिस समय तक भोगना जारी रहता है, वह सब काल चेदना का काल कहनाता है।
एक देश से कमी का क्षय होना निर्जरा है। जिस कर्म का फल भोग लिया जाता है, वह कर्म क्षीण हो जाता है। उसका क्षीण हो जाना निर्जरा है।।
चय, उपचय, दीरणा वेदना और निर्जरा, इन सब के विषय में परिणमन के समान ही वक्तव्यता है। वैसे ही प्रश्न, धैसे ही उत्तर, वैसे ही भंग समझने चाहिए। सिर्फ • परिणत के स्थान पर चित, उपचित,उदीरित आदि शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
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