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श्रीभगवती सूत्र
[४०४] . नरक के आहार की. युराई बतलाने के लिए जो विशेषण दिये गये हैं, उनके सम्बन्ध में टीकाकार कहते हैं कि यह सब शब्द एकार्थक हैं, फिर भी अतिशय अर्थात् अधिकता प्रकट करने के लिए पृथक्-पृथक् अनेक शब्दों का प्रयोग किया गया है।
____ यह चालीसवाँ द्वार हुआ और पूर्वोक्त संग्रह-गाथा का विवेचन समाप्त होता है । संग्रहगाथा के विवरण-सूत्र किसी किसी ही प्रति में पाये जाते हैं, सब में नहीं।