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द्वितीय परिच्छेद : जैनकुमारसम्भवकार की जीवन वृत्त, कृतियाँ तथा 24
जैन काव्य साहित्य की तत्कालीन परिस्थितियों एवं प्रेरणाएं
१४. छन्दशेखर
१५. नवतत्त्व कुलक
अजितशान्तिस्तव १७. संवोधसप्ततिका १८. नैमिनाथ फागु १९. त्रिभुनदीपक प्रवन्ध
धम्मिलकुमारचरित की प्रशस्ति में जैन कुमारसम्भव के नामोल्लेख से यह निश्चित है कि जैनकुमारसम्भव पन्द्रहवीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में निर्मित कृति है।
अतएव धर्मसर्वस्व, आत्मकुलक, अजितशान्तिस्तव, संबोधसाप्तिका, नलदमयन्तीचम्पू, न्यायमञ्जरी तथा द्वात्रिशिकाएं कवि की मौलिक रचनाएं है। त्रिभुवनदीपक प्रबन्ध, परमहंश प्रबन्ध, अन्तरंग चौपाई, प्रबोध चिन्तामणि चौपाई की रचना गुजराती में हुई है।
तत्कालीन परिस्थितियाँ
किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के विशिष्ट साहित्य का अध्यय न करने के लिए उस युग की राजनीतिक, धार्मिक सामाजिक और साहित्यिक परिस्थितियों का परिचय प्राप्त करना समीचीन होगा।