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प्रथम परिच्छेद : जैनकुमारसम्भव महाकाव्य का महाकाव्यत्व)
काव्यानुशासन- वाग्भट्ट
हरिचन्द्र सूरी- धर्मश भ्युदय- १/१५९
सनत्कुमार चरित-जिनपालोपाध्याय-१५/४६
अभय कुमार चरित-तिलकचन्द्र उपाध्याय- ४/७२
जिनप्रभुसूरि- श्रेणिक चरित- ४/४२४-११०
वही, १/१३; ३
हम्मीर महाकाव्य- जयचन्द्र सूरि- १४/३७ (क) ऋग्वेद- १/१२४/७ (ख) ऋग्वेद- १/१६४ २० (ग) कठोपनिषद- १/३/३ (घ) अर्थात उपमापद-असद-तत् सदृशभिति गार्ग्यः, निरुक्ति३/१३ (च) निरुक्ति- ३/१३/१८ (छ) साहित्यकल्पद्रुम- राजकीय पुस्तकालय मद्रास का हस्तलिपि ग्रन्थों का सूची पत्र भाग-१, खण्ड १ पृ० २८९५।
२६.
ध्वन्यालोक उद्योत- ३, पृ० ३८६ अष्टाध्यायी, पृ० ४/३/११०-१११
२७.
अष्टाध्यायी- ४/३/७७
वही, ४/३/११९
महाभाष्य- २/१/५५
भरत, नाट्यशास्त्र- अध्याय १७, श्लोक १/११४
अग्निपुराण- ३३६-६०७
३.
काव्यलङ्कारसूत्र, वामन-१-१
वही, भामह- १/१६
३५.
वही, रुद्रट-२-१
३६.
काव्यादर्श, दण्डी-१-१०