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________________ जैनकुमारसम्भव की परवर्ती रचनाएं जिस प्रकार कुमारसम्भव का प्रभाव परवर्ती रचनाओं पर दीखता है, उसी प्रकार जैनकुमारसम्भव के प्रभाव को भी उसकी परवती कृतियों पर। देख सकते हैं। १. काव्य मण्डन कवि मण्डन ने काव्य मण्डन तथा अपनी अन्य कृतियों में अपनी वंश परम्परा, धार्मिक वृत्ति आदि की पर्याप्त जानकारी दी है तथा स्थिति काल का भी एक महत्त्वपूर्ण संकेत दिया है। उसके जीवन वृत्त पर आधारित महेश्वर के काव्य मनोहर में भी मण्डन तथा उसके पूर्वजों का विस्तृत एवं प्रमाणिक इतिहास निबद्ध है। उसके अनुसार काव्यमण्डन के कर्ता श्रीमातवंश के भूषण थे। उनके गोत्र- सोनगिरि, चाहड़, वाहड़, देहड़ पदम, पाहुराज तथा काल थे। काव्यकार का मण्डन वाहड़ के द्वितीय तथा कनिष्ठ पुत्र थे। स्वयं कवि के कथनानुसार काव्यमण्डन की रचना उस समय हुई थी। जब पण्डपदुर्ग पर यवन नरेश आलमसाहि का शासन था। यवन शासक अतीव प्रतापी तथा शत्रुओं के लिए साक्षात् आतंक था अस्त्येतन्मण्ड्पाख्यं प्रस्थितयास्विमूदुर्गहं दुर्गमुच्चेयस्मिन्नालमसा हिर्निवसति वलवान्दुः सह पार्थिवाना। यच्छौर्येरमन्दः प्रवलधरनिभृत्सैन्य वन्याभिपाती शत्रुस्त्रीवाष्पवृष्ट्याष्पाधिकतरमहो दीप्यते सिध्यमानः॥
SR No.010493
Book TitleJain Kumar sambhava ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyam Bahadur Dixit
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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