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सप्तम् परिच्छेद : श्री जयशेखरसूरि कृत जैनकुमारसम्भव एवं महाकवि कालिदास कृत कुमारसम्भव का तुलनात्मक अध्ययन,
दृष्टवा प्ररुढपुलकाञ्चितचादेहा
देवाः प्रभोदयगमंस्त्रिदशेन्द्रमुख्याः ।। २
अतः कुमारसम्भव के नाम कार्तिकेय, धीरोदात्त आदि गुणों से युक्त है।
जयशेखरसूरि ने अपने नायक में सच्चरित, त्याग आदि आदर्श गुणों को प्रतिष्ठापित किया है। महाकवि कालिदास कृत कुमारसम्भव का नायक अपने उद्देश्य तारकवध की प्राप्ति के लिए उत्साह वीर, दृढ़ निश्चयादि गुणों से युक्त है।
(ङ) प्रकृति निरुपण की दृष्टि से दोनों महाकाव्यों की तुलना
काव्य शास्त्रियों के महाकाव्य के लक्षणों में प्रकृति चित्रण का उल्लेख उसकी महत्ता और उपयोगिता की स्वीकृति है। प्रकृति वर्णनों से काव्य सौन्दर्य में अभिवृद्धि भी होती है। जैनकुमारसम्भव में कवि ने प्रकृति का भव्य वर्णन किया है और षड्-ऋतुओं के वर्णनों में जयशेखर का काव्य कौशल स्पष्टतः परिलक्षित होता है
१. वसन्त ऋतु का वर्णन
कदापि नाथं विजिहीर्षुमन्त -
र्वर्ज र्वणं विबुध्येव समं वधूभ्याम ।
पत्रैश्च पुष्पैश्च तरुनशेषा ।
विभूषयामास ऋतु सन्तः ॥४३
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