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चन्द्रगिरि के मन्दिर
की वनावट बहुत सुन्दर है । उसका गुम्मटाकार गिखर भी दर्शनीय है। उसपर नयकीर्ति आचार्य के समाधिमरण का उल्लेख है। १६. भरतेश्वर
महानवमी मण्डप से पश्चिम की ओर इमारत के समीप बाहुवली के बडे भाई भरतेश्वर की ९ फुट ऊची मूर्ति है । यह मूर्ति एक भारी चट्टान मे घुटनो तक खोदकर अपूर्ण छोड दी गई है। १७. इरूवे ब्रह्मदेव मन्दिर
यह मन्दिर घेरे के बाहर है । यहा ब्रह्मदेव की मूर्ति है। सामनेवाली चट्टान पर जिन-प्रतिमाए, हाथी, स्तम्भ आदि खुदे
१८. कञ्चिनदोणे ___ इरूवे ब्रह्मदेव मन्दिर के उत्तर-पश्चिम मे एक चौकोर घेरे के भीतर चट्टान मे एक कुण्ड है। यही कञ्चिनदोणे कहलाता है। १९. लक्कि दोणे ' यह एक दूसरा कुण्ड घेरे से पूर्व की ओर है। कुण्ड से पश्चिम की ओर चट्टान पर जो लेख है, उनमें जैन आचार्यों, कवियो और राजपुरुषो के नाम है। २०, भद्रबाहु की गुफा ___ इस गुफा मे अन्तिम श्रुतकेवली भद्रवाहुस्वामी के चरण है।