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__५२ श्रवणबेल्गोल और दक्षिण के अन्य जैन-तीर्थ
उनकी स्त्री की मालम होती है। मदिर के उत्तर-पूर्व में और दो कुण्डो के बीच मे एक मण्डप बना हुआ है। ८. प्रोदेगल बस्ति
इस मन्दिर मे तीन गर्भगृह है, इसलिए इसे त्रिकूट वस्ति भी कहते है। यह चन्द्रगिरि पर्वत की शान्तेश्वर बस्ति के समान ऊची भूमि पर है। ऊपर जाने के लिए सीढिया है। दीवारो की मजबूती के लिए इसमे पाषाण के आधार है। बीच की गुफा मे आदिनाथ की, दाईं गुफा मे शान्तिनाथ की और बाईं गुफा मे नेमिनाथ की पद्मासन मूर्तिया है। इस बस्ति के पश्चिम की ओर चट्टान पर २७ लेख नागरी अक्षरो मे अकित है जिनमे प्राय तीर्थयात्रियो के नाम दिये
९. चौबीस तीर्थङ्कर बस्ति
इस मदिर मे २३ फुट ऊचे पाषाण पर २४ तीर्थङ्करो की मूर्तिया उत्कीर्ण है। नीचे एक पक्ति मे तीन बडी मूर्तिया है। उनके ऊपर प्रभावली के आकार मे २१ अन्य छोटी मूर्तिया है। १०. ब्रह्मदेव मंदिर
यह विन्ध्यगिरि के नीचे सीढियो के समीप छोटा-सा देवालय है । इसमे सिन्दूर से रगा हुआ एक पाषाण है, जिसे लोग 'जारुगुप्पे अप्प' भी कहते है। इस मदिर को हिरिसालि के गिरिगौड के कनिष्ठ भ्राता रङ्गय्य ने सम्भवत सन् १६७९ ई० मे वनवाया था।