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महामस्तकाभिषेक
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की पुत्री का है। यह चित्र उसके स्मारक के रूप में बनाया है। लेकिन कुछ लोग इस दरवाजे को उस भव्य महिला गुल्लकायञ्जि से सबधित करते है, जिसके एक कटोरी दुग्ध से भगवान बाहुवली की मूर्ति का मस्तकाभिषेक हुआ था। ६. त्यागदब्रह्मदेव स्तम्भ
यह खचित स्तम्भ कला की दृष्टि से दर्शनीय है। यह ऊपर से इस प्रकार लटकाया गया है कि इसके नीचे से रूमाल निकाला जा सकता है। स्तम्भ पर खुदे हुए शिलालेख मे चामुण्डराय की वीरता और उसकी विजय का वर्णन है। इस लेख का बहुत-सा भाग स्तम्भ के तीन तरफ एक व्यक्ति हेगडे कण्न ने अपना लेख लिखवाने के लिए घिसवा डाला। यदि यह लेख पूरा होता तो सम्भवत उससे गोम्मटेश्वर की स्थापना का ठीक समय मालूम हो जाता । स्तम्भ की पीठिका के दक्षिण बाजू पर चामुण्डराय की मूर्ति है जिस पर चवरवाही खड़े हुए है । सामनेवाली मूर्ति आचार्य नेमचन्द्र की कही जाती है। इस स्तम्भ को चागद कैव भी कहते है, यहा पर दान दिया जाता था, इसलिए भी इसको त्यागद स्तम्भ कहते है। ७. चेन्नण्ण बस्ति
यह मन्दिर त्यागद ब्रह्मदेव स्तम्भ से पश्चिम की ओर थोड़ी दूरी पर है। इसमे एक गर्भगृह, एक ड्योढी और एक वरामदा है । २१ फुट ऊंची चन्द्रप्रभु भगवान की मूर्ति है। सामने एक मानस्तम्भ है। बरामदे के दो खभो पर क्रमश एक स्त्री और एक पुरुष की मूर्ति खुदी हुई है। ये मूर्तिया चेन्नण्ण और