________________
श्रवणबेलगोल और दक्षिण के अन्य जैन-तीर्थ
एक ओर श्री राइस साहव तथा श्री नरसिहाचारजी जहा जैन समाज के धन्यवाद के पात्र है, दूसरी ओर हमे इस बात का खेद है कि जैन विद्वानो तथा धनाढ्यो की अपने पुरातत्त्व की ओर कोई दृष्टि नहीं है । यदि उक्त महानुभाव इतना परिश्रम न करते तो हमे इन शिलालेखो का पूर्ण विवरण न मिलता। श्री प्रोफेसर हीरालालजी तथा श्री प० नाथूरामजी प्रेमी ने श्री राइस साहब तथा श्री नरसिंहाचारजी के सग्रहो को आधार मानकर 'जनशिलालेख सग्रह' प्रथम भाग निर्माण किया, जिससे जैन समाज को बहुत लाभ हुआ।