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दक्षिण के अन्य जैन-तीर्थ
हलेबिड
यह स्थान श्रवणबेलगोल से ६४ मील और वेलूर से १० मील है। इसे द्वारसमुद्र भी कहते है । किसी समय इस नगर के आसपास ७२० जिनमदिर थे, जिनको लिंगायतो ने नष्ट कर दिया। उनके भग्नावशेप आज भी जैन गौरव का स्मरण करा रहे है।
हलेविड एक समय होय्सल नरेश विष्णुवर्द्धन की राजधानी थी। इसका राज्यकाल सन् ११११ से ११४१ ईस्वी था। पहले यह जैनधर्मानुयायी था। सन् १११७ ईस्वी मे इसने श्री रामानुज के प्रभाव में आकर वैष्णव धर्म अगीकार किया और इसके स्मृतिरूप विष्णुवर्द्धन ने वेलूर मे एक बहुत विशाल केशव मदिर बनवाया था। जैनधर्म छोडने के पश्चात इसने न केवल जैन मन्दिरो का ध्वस कराया, अपितु अगणित जैनियो को मृत्यु के घाट उतारा और उन्हे अनेक प्रकार के कष्ट दिये। ___'स्थलपुराण' मे वर्णन है, कि पृथ्वी विष्णुवर्द्धन के द्वारा जैनो को दिए हुए कष्ट सहन न कर सकी और उसके अत्याचार और संताप के कारण हलेबिड के दक्षिण मे कई बार भूकम्प आये और पृथ्वी का कुछ भाग भू-गर्भ मे समा गया । जनता