________________ ,जीवों की उत्पत्ति होती हो तो उपरोक्त सूत्र में नवनीएण शब्द की योजना भगवान कभी न करें. पहले प्रहर में लिए हुए मक्खन का चीथे प्रहर में भी रोगादि के मंबलं कारण से साधु साध्वी अपने शरीर में लगा सक्ने हैं जिससे यह बात सिद्ध हुई कि इस में चोथा प्रहर तक भी सजीव की उत्पत्ति न होनी चाहिए' मगर हेमचंद्राचार्य जैसे समर्थ विद्वान् वेदकल्पकी यह वात से केवल अज्ञात होवे यह बात भी हमें कुछ असंभव सी मालुम होती है. जिस से इसमें कोई और रहस्य होना चाहिए. इस विषय में हमारा तर्क यह है कि साधु साध्वी नवनीत प्रथम प्रहर में लाकर छाछमें रख छोडे और ज. रूरत होनेपर इसमें से निकाल कर उपयोग में लावें. कि जिस से मक्खन में जंतु की उत्पत्ति भी न होवे और साधुजी का काम भी चल जावे. ऐसा होघे तो ग्रांथिक व सिद्धांतिक दोनों प्रमाण में प्रत्यक्ष विरोध दिखने पर भी दोनों प्रमाण यथार्थ हो सके हैं. ____ मक्खन को छाछ में नहीं रखने से उस में फूलण का होना भी संभावित है और फूलण अनंतकाय होने से साधु के लिये अस्पये है इससे भी हमारा उपरोक्त तक को पुष्टि मिलती हैं. * विद्वान् मुनिवरों का इस बारे में क्या अभिप्राय है वह जानने की हमें बड़ी जिज्ञासा है. इस लिये पाठक गणको विज्ञप्ति की जाती है कि उपरोक्त वातका खुलासा पंडित मुनिवरों से लेकर हमें लिख भेजने की कृपा करें. * * * हमारी गलती होगी तो हम फौरन कबूल कर लेंगे .हमें किसी प्रकार का मताग्रह नहि है. प्रयोजक.