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________________ ( ३२ ) के खीर के तीन मिलकर छ श्रारे जुगल के समजना । (२७) प्रश्न: पुद्गल परावर्तन किसको कहते हैं ? उत्तरः अनंत कालचक्र का एक पुद्गल परावर्तन होता है । (२८) प्रश्न: अपने जीवने संसार में भटकते भटकते कितने पुद्गल परावर्तन किये होंगे ? उत्तरः अनंता । प्रकरण १६ - त्रेसठ शलाका पुरुषो ( १ ) प्रश्न: इस अवसर्पिणी काल में अपना भरतक्षेत्र में कितने तीर्थकर हुवे हैं - ? उत्तरः चोबीश | ( २ ) प्रश्नः शेष रहे हुवे चार भरत व पांच इरवृत भें कितने तीर्थकर हुवे हैं ? उत्तरः प्रत्येक भरत व इरतक्षेत्र में चौवीश तीकर इस अवसर्पिणी में हुवे । 4. (३) प्रश्र: एक कालचक्र में कितनी चोवीशी प्रत्येक क्षेत्र में होती है ? उत्तरः दो (एक अवसर्पिणी में व एक उत्सर्पिणी में) (४) प्रश्न: एक पुद्गल परावर्तन में कितनी चोत्रीशी होती है ? उत्तरः अनंती !
SR No.010488
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year
Total Pages85
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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