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कोडा. कोडी सागरोपम का होता है इस तरह बारह आरा के वीस क्रोडा कोडी सा
गरोपम से एक कालचक्र होता है. (२४) प्रश्नः इस प्रत्येक आरा के मनुष्य के सुख दुःख
कैसे होते हैं ? उत्तरः पांच भरत व पांच इरवृत के मनुष्य को अवस
पिणी का प्रथम आरा की आदि में व उत्सर्पिणी का छहा पारा की अंखीर में देवकुरु उत्तरकुरु क्षेत्र के जुगलिया को जैसा उत्कृष्ट सुख होता है वैसा उनको सुख होता है तीन पल्योपम का आयु व तीन कोस का देहमान होता है. .
अवसर्पिणी का प्रथम आरा की अखीर में व दूसरा आरा की शरूआत में
और उत्सर्पिणी का पांचवापारा की अखीर में और छठ्ठा आरा की शरूपात में हरि. वास व रम्यक वास क्षेत्र के जुगलिया जैसा सुख आयु व देहमान होता है.
अवंसर्पिणी का दूसरा आरा की अखीर में व तीसरा आरा की शरुआत में
और उत्सर्पिणी का चोथा धारा की खीर में व पांचवा पारा की शरुपात में हेमवय हीरणवय क्षेत्र के युगलिया जैसा सुख होता है. . . .