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________________ ( २५ ) उत्तरः उनको अवधि ज्ञान और * विभंग 'ज्ञान होता है. . (३०) प्रश्नः अवधिज्ञान मेनारकी कहांतक देख सक्ने हैं? उत्तरः कम से कम आधा कोस बज़्यादे से ज्यादा .चार कोस तक. (११) प्रश्नः अवधिज्ञान सब से ज्यादा कहां होता है व सबसे कम कहां होता है ? उत्तरः सबसे ज्यादा पहली नर्कम व सबसे कम सातमी नर्क में (३२) प्रश्नः वेदना सबसे ज्यादे कहां सबसे कम कहां? . उत्तरः सबसे ज्यादा सातमी नर्क में व सबसे कम पहली नर्क में, . (३३) प्रश्नः नारकी को इन्द्रिय कितनी होती हैं ? उत्तर पांच. .. . (३४) प्रश्नः अपनने कभी नारकी की गति पाइ होगी? उत्तरः हां... (३५) प्रश्नः अपन कभी परमाधामी हुवे होंगे ? उत्तरः हां. . प्रकरण १८-कालचक्र..... .. .. (१) प्रश्नः मनुष्य क्षेत्र में याने अढीद्वीप में चद्रमा सूर्य __ आदि चल हैं इस से क्या लाभ है ? . . उत्तरः दिवस.रात्रि आदि होते हैं व उससे काल ' ' का परिमाण होसकता है. .. .: + मिथ्यात्वी के अवधिज्ञान को विभंगज्ञान कहते हैं.
SR No.010488
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year
Total Pages85
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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