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________________ (२०) :. उत्तरः क्रोधादिकषाय को त्याग करना सो अक. पाय व उससे कषाय रुप आश्रय द्वार बंप होता है. . . . (२६) प्रश्नः शुभ जोग से क्या लाभ ? . उत्तरः उससे अशुभ जोग. रुप आश्रव द्वार बंध होता है. (२७) प्रश्नः संवर तत्त्व जीबको हितकारी है वा अहित कारी ? उत्तरः हित कारी व आदरणीय है. - नारकी व परमाधामी। : (१) प्रश्नः बहुत पाप करने वाले जीव कहां जाते है ? उत्तरः नरक में जाते हैं. (२) प्रश्नः नरक कितनी हैं ? उत्तरः सात. . (३) प्रश्नः उन के नाम बतलायो ? उत्तरः १ घमा २.वंशा ३ शिला" अंजणा ५ ...: रिहा ६ मया व ७ माघवइ., . (४) प्रश्नः ये सात नर्क के गोत्र-गुण निष्पन्न नाम . . कहो ? उत्तरः १ रत्न प्रभा २ शर्केरा प्रभा ३ वालु प्रभा - ४ पंक प्रभा ५ घूम्र प्रभा ६ तम प्रभा व - . ७ तमस्तमः प्रभा. ..' • (५) प्रश्नः ये सात. नर्क कहां है ? . . उत्तरः अपनी नीचे प्रथम पहली नर्क है वहां ... . .. से असंख्य.जोजन पर दूसरी नर्क है।
SR No.010488
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year
Total Pages85
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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