SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७ ) उत्तरः पच्चीस. (४६) प्रश्नः उपाध्याय व आचार्य ये दोनों में बड़े कौन ? उत्तरः आचार्य. (४७) प्रश्न: नवकार मंत्र का पांचवां पद कहिये ? उत्तरः नमो लोए सव्व साहुणं. (४८) प्रश्न: लोए मायने क्या ? उत्तरः लोक में. ( ४६ ) प्रश्न: सन् साहुखं मायने क्या ? उत्तर: सर्व साधुजी को (पांचवां पद का अर्थ देसा है कि लोक में जितने साधु विराजमान हैं उन सबको नमस्कार. ) हैं ? (५०) प्रश्नः साधुजी में कितने गुण उत्तरः सत्ताईस. (५१) प्रश्न: नवकार मंत्र में कितने को नमस्कार करने का कहा है ? उत्तरः पांच को . (५२) मश्न: कौन पांच को ? उत्तरः अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय व साधु. (५३) प्रश्न: ये पांच को क्या कहते हैं ? उत्तरः पंचपरमेष्ठी. (५४) प्रश्न: पंचपरमेष्ठी के कितने गुण होते हैं ? उत्तरः एकसो आठ. (५५) प्रश्न: (पंचपरमेष्ठी में साधुपन कितने पालते हैं ?" अरिहंत, आचार्य, उपाध्याय नं. उत्तर: चार. साधु.
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy