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अपने हाथमें आटेकी लोई लीनिये वह गेंदके समानं गोल है उसे दया कर बाटी बनाइये अब वाटी पर्याय. प्रगट होगई और लोई. पर्याय: कहां गई ? उसीमें समा .गई। अव वाटीको और बढ़ाइये तो रोटी पर्याय प्रगट होगई और वाटी पर्याय उसीमें
समा गई । पर लोई, वाटी, रोटी आदि सब हालतोंमें आटा वस्तु. मौजूद है । इस.. . थोडेसे ही कथंनसे आप समझ सक्ते हैं कि पुद्गलं पदार्थोंमें गुण हैं और पयायें हैं इस
लिये । गुणपर्यायवद्रव्यं " की नीतिसे पुदगलोंको' द्रव्य कहना चाहिये । और द्रव्य, · वस्तु, पदार्थ, तत्व आदि प्रायः एकार्थवाची हैं । समयसारनीमें कहा भी है-..
... दोहा-भाव पदारथ समय धन, तत्व वित्तं वसु दर्व। ... . . .. द्रवनि अर्थ इत्यादि बह, नाम वस्तके सर्वः ॥: :..
.:. . यह बात भी प्रत्यक्ष सिद्ध है कि पुदगल परमाणु अनंतानंत हैं जो नाना अव : : स्थाओंको प्राप्त हुआ करते हैं और कभी भी सर्वथा नष्ट नहीं होते । यदि पुदगल
पदार्थ न होता तो न पानी होता, न हवा होती, न सभा होती न, सभा मंडप होता, न. शरीरधारी सभापति होते, न सभासद होते और न व्याख्यान होते । सारांश ! जो कुछ हम देखते सुनते हैं कुछ मी न होता । स्मरण रहे कि पुदगल अपने स्वरूपसे ज्ञान हीन
और वे जान है इस लिये वह अजीव है । साइंसके विद्वानोंने जो अब तक ६६।६७ तत्व खोजे हैं और भी खोन रहे हैं वे सब पुद्गल विज्ञानी बा जड़. विज्ञानी हैं । परन्तु - हम अपने पाठकोंको आत्म विज्ञानकी ओर झुकाया चाहते हैं। . . . . : (२) भाप अपने एक हाथसे, दूसरे हाथमें चीमटी लीजिये और कुछ नादा.
दवाइये। तो स्पर्श, रस,गंध, वर्णवंत शरीरके सिवाय एक और विलक्षण पदार्थ ज्ञात होगा निसे यह बोध होता है कि हमें दुःख हुभा, हमें दवायां है, हमने दबाया है, हम पकड़े. गये, हमने जाना, हमने देखा। यह जानने वाला शरीरके लक्षणोंसे भिन्न लक्षणोंवाला . है बसें । यही ज्ञायक लक्षण आत्मा है और वास्तवमें यही तुम हो, तुम शरीर नहीं हो आत्मा हों जीव हो । जीवके रहते नड़ शरीरको लोग जीवित कहते हैं। मुख्यतया हमें नीव पदार्थको ही समझना और समझाना है क्योंकि अहिंसा और आत्म बलका . सम्बंध नींव पदार्थ ही से है । यह आत्मा शरीरसे इतना तन्मय रहता है कि शरीरको पकड़ो तो मात्मा भी पकड़ा जाता है । शरीरको पीटो. तो. मात्माः पिट जाता है। क्या झाड़ क्या चिंटी क्या हाथी सबके शरीरमें मात्मा रहता है: । इन्द्रियोंके व्यापार और .. कायकी चेष्टासे उसका अस्तित्व प्रतीत होता है । परंतु शरीरकी अचेतन परणखिसे जीव . की चैतन्य परणति जुदी देखनेमें माती है। जिसे लोग : मरजाना कहते हैं उससे जीव : पुद्गलकी पृथकता स्पष्टता सिद्ध है । गृत प्रेत, पूर्वभव स्मरण आदिक दृष्टांत जगह जगह