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पेशवाई में रईस लोगजाय और नमस्कार करें भेट चढावें रोशनी करे सुकदमें पेशकरें परंतु राजाकी मूर्ति को लावें तो पूर्वोक्त काम कौन करता है मुकदमें नकलें कौन उस मूर्तिके आगे पेश करता है यदि करे तो मूर्ख कहावे ।
पूर्व पक्षी - मुकदमों की बातें तो न्यारी है हमतों ऐसे मानते हैं कि जैसे मित्रकी मूर्तिकोदेखकर राग (प्रेम जागता है) ऐसेही भगवान् की मूर्ति को देखके भक्ति प्रेम जागता है ।
उत्तर पक्षी - हां २ हम भीमानते हैं की मित्र की मूर्ति को देखके प्रेम जागता है परंतु यह तो मोह कर्म के रंग हैं यदि उसी मित्र से लड़ पडे तो उसी मूर्ति को देखके क्रोध जागता है हे भाई यह तो पूर्वोक्त परगुणका कारण राग द्वेष का पेटा है समझने की बात तो यूं है कि