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( ४. ) भी चोरी भी वेश्या के शृंगारादि की रचना इत्यादि अनेक शुभाशुभ व्यवहार दिखाये हैं क्या वे सब करने योग्य हो जायेंगे, जैसे राय प्रश्नी मे देवोंका जीत व्यवहार (कुलरूढ़ि) कुल धर्म नाग पडिमा (नाग आदिकों की मूर्तियों) का पूजन ॥
२ पद्मपुराण (रामचरित्र) में वज्रकरण ने अंगूठीमें मूर्ति कराई ॥
३ विपाकसूत्रमें अंबर यक्षकीयात्राअभंगसेन चोरकी चोरीका करना पुरोहितने यज्ञमेंमनुष्यों का होम कराया राज की जयके लिये इत्यादि परन्तु यह सब उच्च नीच कर्म मिथ्यात्वादि पुण्य पाप का स्वरूप दिखाने को संबंधमेंकथन आजाते हैं, यह नहीं जानना कि सूत्र में कहे हैं तो करने योग्य होगये, क्योंकि यह पूर्वोक्त