________________
( १ ) ही माने हुए मत को बाधक होग, शांति भगवान में ही भगवान का नाम निक्षत्र मान लिया भगवान्में ही भगवानका धापना नि. क्षेप मानलिया तो फिर पत्थर का विम्ब नि अलग क्यों बनवाते हो ॥
द्वितीय नाम निक्षय तो भला कर मान ले कि भगवान्में भगवान्का नार
निया कि महावीर परंतु भगवान में भगवानका म्या पना निक्षेप जो पत्थर की मूनि जिम का नम भगवान्का स्थापना निक्षेप मानत हो ना क्या उस मूर्तिको भगवान्के कंटद्वारा पट में अपने हो अपितुनहीं वस्तुत्वकास्थापना निशेष बम्नमें कभीनहींक्षेप किया जाता है नान तम्हारा उस लेख मिथ्याहै एसेहो द्रव्य भाव निक्षरों में भी पूर्वोक्त भेद है ॥