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( १३ ) (२) स्थापना निक्षेप यथा किसीने मिट्टीका तथा कागजका मिशरीके कूजेका आकार बना लिया सो स्थापना निक्षेप है क्योंकि वह मिट्टीका कूजा पूर्वोक्त मिशरीवाली आशा पण नहीं करसता है ताते स्थापना निक्षेपनिरर्थक है
(३) द्रव्य, यथा मिशरीका द्रव्य खांड आदिक जिससे मिशरी बने सो द्रव्य मिशरी सार्थक है॥
(३) द्रव्य निक्षेप यथा मिशरी ढालने के मिट्टीके कूजे जिनको चासनी भरने से पहिले
ओर मिशरी निकालनेकेपीछेभी मिशरी के कुजे कहते हैं सो द्रव्य निक्षेप यथा पूर्वोक्त इदंमधु कुम्भं इति वचनात् परन्तु यह द्रव्य निक्षेप वर्तमानमें मिशरीकादातानहीं ताते निरर्थक है ___ (४) भाव, यथा मिशरी का मीठापन तथा