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( १४८ ) हे भगवान जिन पडिमा की बंदना पूजा करते हुए श्रुतधर्म,चारित्र धर्म की प्राप्तिकरें, गौतम नहीं,किस कारण हे भगवन्! ऐसा फरमाते हो कि जिनपडिमाकी वंदना पूजा करते हुये श्रुतधर्म,चारित्र धर्म की प्राप्ति नहीं करे, गौतम पृथ्वी काय आदि छः कायकी हिंसा होती है तिस हिंसा से आयु कर्म वर्ज के सात कर्म कीप्रकृत्ति के ढीले बंधनों को करड़े बंधन करें ताते ४ गति रूप संसार में परिभ्रमण करे असाता वेदनी वार२ वांधे तिस अर्थ करके ह गौतम जिन पडिमाके पूजतेहुए धर्म नहीं पावे इति इसमें भी मूर्ति पूजा मिथ्यात्व और आरंभ का कारण होनेसे अनंत संसारकाहेतु कहा है। ४ चतुर्थ, और सुनिये जिन वल्लभ सूरिके