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चूर्णी भाष्य आदि ग्रंथों की कोड़ि निचले उन्हें बांचे इस विधि से व्याख्यान होय सो ऐसा तो होता नहीं है ताते तुम्हारा हठ मिथ्या है | पूर्वपक्षी - तुम नंदी जी में जो सूत्रों के नाम लिखे हैं उन्हें मानते हो कि नहीं ॥
उत्तरपक्षी - हमतो ४५/७२।८४ सव मानते हैं परन्तु यह पूर्वोक्त अभिनव ग्रंथ सावयाचाय्य कृत नहीं मानते हैं, क्योंकि भद्रवाहू स्वामी लिख गये हैं कि १२ वर्षो काल में वहुत कालिकादि सूत्र विछेदजायगे स! उन नंदी जो वालों में से आदि लेके ओर बहुत सूत्र विछेद गये हैं यदि कोई नंदी जी वाले सूत्रों के नाम में से नाम वाला ग्रंथ है भी तो वह पूर्वोक्त नवीन आचार्यकृत है क्योंकि उनमें सालसंवत् और कर्ता का नाम लिखा है इस कारण