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४६२ सस्कृत-प्राकृत व्याकरण और कोश की परम्परा
३५ आदिपुराण २५११००-१०३, १२०, १२४ ३६ वही २५।१५१-१६२ ३७ पमपुराण ५।१७-१६ ३८ वही ५१५२-५३ ४६ वही ७७७ ४० आदिपुराण २५१२४ ४१ वही २५।१२० ४२ वही २१०६-११० ४३ वही २५।१५६, १५८, १५६ ४४ पद्मपुराण १०२।१६५-२०० ४५ वही ३३।२२-३३ ४६ वही १९८५ ४७ आदिपुराण ३४।६३ ४८ ५उमचरिय (विमलसूरि) प्राकृत टेक्स्ट सोसाइटी वाराणसी ५, अहमदावाद-६, १९६२,
१९६८ (दो भाग) २६६६६ ४६ वही २६।५० ५० वही २६।५३, ५३।८६ ५१ वही ३३१८ ५२ वही १२।११२ ५३ वही ६६८ ५४ वही २१४० ५५ वही ६।२०६ ५६ वही २२।३२ ५७ वही ८।२६२ ५८ वही १०२।२० ५६ वही १०५।५६ ६० वही ३१८१ ६१ वही २६५१ ६२ वही २६१४८ ६३ वही १२११२ ६४ वही १०५२५६ ६५ पद्मपुराण १२।२६१-२६३ ६६ वही १०५॥३३ ६७ वही २१।५६-७१ ६८ वही १०१११३ ६६ वही ७८।६२ श्लोक के अनन्तर गद्य ७० हरिशपुराण, परिशिष्टानि, पृ० ८०-१५६ ७१ आदिपुराण (प्रथम भाग) पृ० ६८८-७४६, (द्वितीय भाग) ५५८-५८८ ७२ उत्तरपुराण पृ० ६४५-७०७ ७३ द्र० पमपुराण (तीनो भाग)