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________________ २६० : सस्कृत-प्राकृत व्याकरण और कोश की परम्परा १९१५) तथा मुखतकर ने (JAOS ४०-४२), भवभूति के महावीरचरित पर टोडरमल्ल ने (आक्सफोर्ड, १६२८), महाराजविजय पर दलाल ने (बडोदा, (१९१८), बलविजय ५२ एल० वी० गाधी (बडोदा, १९२६) ने तथा विक्रमोर्वशीय ५२ एच० डी० वेलकर ने (साहित्य अकादमी, १९६१) विशे५ लिखा है। उन्होंने इन नाटको मे प्रयुक्त मागधी, शौरसेनी, पैशाची आदि प्राकृत वोलियो का विश्लेषण किया है। ___इस प्रकार भारतीय विद्वानो ने प्राकृत भाषा और व्याकरण की विविध विधायो पर गोवकार्य किया है। प्रारम्भ मे उनका शोध कार्य पाश्चात्य विद्वानो के आदर्श को सामने रखकर किया गया प्रतीत होता है। बाद मे उन्होने कुछ मौलिक चिन्तन प्रस्तुत किया । आज वे स्वय जादवनने की स्थिति मे है वशते कि वे अपेक्षित श्रम और निष्ठा के साथ कार्य करें। याकोबी और मल्सडोर्फ के आदर्ग आज भी पुराने नही हुए । डा० हीरालाल जैन और ए० एन० उपाध्ये जैसे प्राकृत के सर्वमान्य विद्वानो के कार्य नयी पीढी के लिए प्रेरक सूत्र बन सकते है । सर्वश्री मुनि नथमलजी, प० सुखलाल सधवी, प० वेचरदास दोसी, प० दलसुख मालवणिया, डा० भयाणी, प० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री, प० वालचन्द सद्धान्तशास्त्री आदि जैसे प्राकृत भापा के निष्णात विद्वान् अपनी लेखनी और विद्वत्ता से प्राकृत भाषा और माहित्य के अनुसन्धान के क्षेत्र को प्रशत कर रहे है। तुलनात्मक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से अभी भी प्राकृत भापा और साहित्य के विविध पक्षो का उद्घाटित होना गेप है। आशा है नयी और पुरानी पीढी का सामनस्य तथा परिपरिक सहयोग इस दिशा की और अपने कदम बढायेगा। १ भारतीय आर्यभाषा और हिन्दी, द्वि० स०, १७५ । २ मारत भापायो का व्याकरण, हिन्दी अनुवाद, पृ० १४ । ३ वही, पृ० ८-१४ । ४. १५८०५-(1) प्रेम सुमन जन-विदेशी विद्वानो का जनविद्या को योगदान' वैशाली बुलेटिन न० १, पृ० २३२-४४ । (11) F Wiesinger German Indology-Past & Pre sent (111) AM Ghatge A brief sketch of Prakrit studies in progress of Indic studies (11)ो मार हानी-अपनी भाषा और साहित्य वी गोध प्रनिया -- !)
SR No.010482
Book TitleSanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
PublisherKalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
Publication Year1977
Total Pages599
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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