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साधना के नये मोड़ : १२६
का हृदय से स्वागत करता है। स्वय भगवान् महावीर से जब पूछा गया कि धर्म-तत्व का निर्णय करने के लिए हम कौन-सा गज लेकर चलें, तो उन्होने परम सत्य के रहस्य को अनावरण फरते हुए तथ्य का उद्घोष किया था-"धर्म तत्त्व का विनिश्चय मनुष्य की प्रज्ञा-शुद्ध बुद्धि ही करती है। बुद्धि-तुला पर परखा हुआ सच्चा धम ही जीवन को उज्ज्वल समुञ्चल भविष्य की ओर ले जा सकता है।
१-"पवा समिक्खए धम्म, तत् तत्त-विरिणच्छियं :
उत्तरा०२३१२५