________________
विजयनगरकी शासन व्यवस्था बनधर्म। [७१,
प्रांतीय शासक ऐसा भी होता था वो राजघरानेसे सम्बन्धित होते : हुये भी अपनी योग्यता और विश्वासपात्रताक लिहाजसे उस पदर नियुक्त किया जाता था। पतिपतियों को अपने२ प्रतिमें स्वतंत्र शासन करनेका अधिकार था। भूमिकरका तीसरा भाग बह राजाको देते थे चौर राजाकी सहायताके लिये सेना भी रखते थे। यह कोकनायक पवमा महामंडलेश्वर कहलाते थे।'
ग्राम-व्यवस्था। ___प्रांतीय नायकों को ही यह अधिकार था कि 'नाडू' (परगना) चौर ग्रामोंके प्रबन्धके लिये मला मग अधिकारी नियुक्त करें। नाद नाधिकारी सपही गांवों के कार्यका निरीक्षण किया करता था। ग्राम अधिकारका पद वंश पराम्परा- गत होता था। किन्तु प्रामका प्रबन्ध 'प्राम-पंचायत' द्वारा किया जाता था । मापसी झगड़ेको स्य काना, दण्ड देना, गांवकी रक्षा करना भादि कार्य ग्राम पंचायत ही करती थी। ग्राम कर्मचारी मुरूपन: सभाग ( लेखक ), कायस. (पुलिस) बनायगर होते थे। ग्राम पंचायत सब बातों का वार्षिक-विवाण. शासकके पास भेजा करती थी। केन्द्रिय शासनको मुहद खनके लिये एक यह क्रमिक राज व्यवस्था कार्यकारी थी। वैसे केन्द्र में भी. एक विशाल सेना, चतुर पुलिस और रहस्यविद् गुप्तचर रहा करते थे। सैनिकों का वेतन नकद दिया जाता था। सेनापर होनेवाला यह सा. हीन्यपदारवधुनों (रियों) पर गाये गये करसेपसूक किया जाता, मा सेनाके वविमाग (१) पैदरू, (२) इसबार, (३)हावी, (७)
१-वि०, पृ. १२९-१.....२-पही १५१. ...