SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विजयनगरकी शान व्यायाम नपर्म। [१९ दी करते थे। किन्तु म माम नहीं होता कि विजयनगर साम्राज्य, रानियोंकी स्थिति क्या थी ! होरपल--गनियों की तरह उनको शासनाघिकार शायद नहीं मिला था-कोई भी रानी प्रान्तीय शासनकी भी, अधिकारिणो नहीं बी! इतने पर भी यह नहीं कहा जा सकता कि बह शासन-नीतिसे निरोड मारिचित ती थी, क्योंकि कृष्णदेवरायके. समयमें हम दो रानियों को शासन-प्रबन्ध सक्रिय भाग लेते हुये पाते, हैं। मन्दुकाजाक और निकाको कॉन्टि नामक विशो यात्रियों के वर्णनसे भी यही प्रगट होता है कि रानियां गजाके भोग-विलासकी, बस्तुमात्र थीं और माने पति के साथ पायः सती हो जाती थीं। राबाकार हजार कामिनियों से विवाह करता था। राजाकी महानताके विषयमें भब्दुलाजाकंने लिखा है कि विजयनगरके राय (राजा) से अधिक शक्तिशाली नरेशको भारतमें ढूंढनका प्रगस करना निर्यक है। कॉष्टि लिखता है कि भारतमें सभी गनाओं में विजयनगर नरेश, विशेष शक्तिशाली है ! मंत्रिमंडलका मन्तररूप। विजयनगरके शक्तिशाली नशोंके सुचारु राजप्रबंधके लिये बो. मंत्रिमंडल नया राजसमा थी, उसमें (१) प्रधान मंत्री, (२) पान्तीय सुवेदार, (३) सेनापति, (७) राजगुरु, तथा (५) कविगण, • निराक किये जाते थे। स राजा उसका प्रधान होता था। उनकी समावि भोर भी छोटे छोटे कर्मचारी नियुक्त किये जाते थे। १-. ०१12-Major, P SI Pt. ILp.. -bid, Pt I p. 23 & P. EP. 6.
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy