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________________ विजयनगरके सालुन र अन्य गजवंध। . [६. ठौर टौर पर भग्ना अधिकार जमा बेठे ! रामरायके पश्चात तिरुम, श्रीरंग प्रथम, श्रीवेटपतिदेव और मोरंग द्वि० नामक गायोले 'विजयनगरपर शासन किया अवश्य पान्तु वे विजयनगरके संस्थापन ध्वंयकी रक्षा करने में असमर्थ रहे। श्रीवेटकी उदारतासे ईसाइयोंने भी यहां जाने पर जमा लिये और बहुत से हिन्दुओंको ईसाई बना लिया । प्रजा असंतोप बढ़ गया । सर ही सामन्त स्वतन्त्र होगये। विजयनगरके राजाओंका कोई प्रभाव ही नह! शाहजी और मौजुमलाने मन्तमें उनकी राजधानी पर भी अधिकार जमाया और विजयनगर साम्राज्यका पन्त कर दिया ! उनके स्थान पर मगठा राज्यकी स्थापना हुई। (१) सालुष-वंशवृक्ष। (३) भाविदु-वंश-वृक्षा। नरसिंह गाय हम्मादी नरसिंह तिम्मल (२) तुलुत्र-यश-वृक्ष । नरेशनायक श्री/ग प्रथम वर नरसिंह श्री कटपति देव भीरग दितीय अध्यत सदाशिराय
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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