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१५] संचित Farm बाके लिये अपने शौर्यको प्रकट कर रहे थे। होम्सने काटी नरेशके माय गष्ट्रकी खाके लिये ही एक संघकी स्थापना की थी। बस: या पतिमापित नहीं होता कि हरिहर कौर उसके मायने होससे बगावत करके बनेको स्वाधीन शासक घोषित किया का। साथ ही एक शिकालेखसे यह स्पष्ट है कि होय्सक नरेखों में सर्व मन्तिम विरुपाक्ष बल्लासका गज्याभिषेक हुनाभा मतभी शासनाधिकारी रहे थे। हरिहरने सन् १३४६ के पहले महाराजाघिरायन पारण ही नहीं किया था। इसी कारण विद्वजन सन् १३१६ ई. में विजयनगर साम्राज्यका श्रीगणेश हुमा मानते है। विजयनगरका प्रथम राजवंश ( काकतीय नहीं।)
विजयनगरके भादि शासक हरिहरके राजवंशके विषय मी विद्वानों में मतभेद है। सीवेक, विल्सन मादि विद्वान उनका सम्मान काकतीय सशसे स्थापित करते हैं। उनका कथन है कि हरिहर मोर बुक काकतीय नरेश प्रतापरुद्रदेयके कोषाध्यक्ष थे। किन्तु महमानों के रंगल पर माक्रमण करने पर वह वीर बलाकी शम्नमें पहुंचे थे। जिनोने को अपना महामंडलेश्वर' नियुक्त किया था इसमें शक नहीं कि हरिहर और बुक वीर बल्लारू तृतीयके महामंडलेश्वर सामन्त होकर रहे थे, परन्तु यह स्पष्ट नहीं कि काकतीय वंश बस हुये थे। होरसलनरेश वीर बल्लालकी शत्रुता कारतीयनरेश तारुद्रसे थी-1 मका बलाक जाने शत्रुके वंशको महामंडधर पद पर नियुक्त करते ! अत: विनर नरेश भाटीय गजांशसे मानना ठीक नहीं है।'
- १. ११, सो, मा. २.०१.