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________________ विजयनगर साम्राज्यका इतिहास । [३१ निश्चय किया था। किन्तु अभी वह संभलने में भी नहीं पाये थे कि सन् १३२७ ई० में मुहम्मद तुगलक के सेनापति बढाउद्दीनने दक्षिण पर आक्रमण किया था। इस बार मुसलमान लूटमार करके ही संतोषित नहीं हुये, बल्कि उन्होंने दक्षिण में इग्लामकी नड़ जमानेके लिए लोगोंको जबरदस्ती मुसलमान बनाया । बहाउद्दीनने कहिके राजाको मार डाला और उसके लड़के को मुनलमान बनाया था । इस आक्रमणका प्रभाव दक्षिण भारत के लिए अतीब हानिकारक सिद्ध हुआ। कोई भी हिंदुधर्म सुरक्षित न रहा और समाज व्यवस्था भी छिन भिन्न होगई । मलिकका के दिल्ली लौटते ही होटल मंग्श बोर बल्ल तृतीय मुक्त हुये और उन्होंने अपना पृत्रे गौरव प्राप्त किया था । काकतीय नरेश कृष्णा नायकको अपने साथ लेकर उन्होंने मुसलमानोंसे मोर्चा किया और वारंगल से मुसलमानोंकी निकाल कर बाहर कर दिया। वीर ब्ललने +नू १३४० ई० में दक्षिण भारत से मुसलमानों को निर्मूल करने के लिये मदुगर विशाल सेना लेक आक्रमण किया था । मुसलमान शासक पराम्स होगा, किन्तु वीर बल्लाउने उसको मुक्त कर दिया । यवनने हिन्दू नरेशकी इस उदार वृत्तका उत्तर कृतघ्नता में दिया। मुसलमानोंने धोखे से गलको आक्रमण कर दिया। हिंदू सेनायें भगदड मच गई और हम गढ़में वीर बल्लाल भी बीग्गतिको प्रस हुये। उनके पश्चत् सन् १३४२ से उनका पुत्र विरुराव बल्लाक चतुर्थ शासनाधिकारी हुआ था; किंतु वह अपने पूर्वजों के समान प्रतापी और शक्तिशःकी नहीं था। इस प्रकार विजयनगर समय दक्षिण भारतकी राजनैतिक स्थिति एक अत्यन्त शोचनीय दायें के ▾
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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