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संक्षित जैन इतिहास। (६) ब्रिटिश राज्य-(उपगंत)
प्रस्तुत प्राचीन खण्ड ' में हम दोनों भागोंके पहले कालों तकका इनिहास लिखनेका प्रयत्न निम्न पृष्ठोंमें करेंगे। अवशेष कालोंका वर्णन आगे खण्डोंमें प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया जायगा। आशा है, जैन साहित्य संगार के लिये हमाग यह उद्योग उपयोगी मिद्ध होगा।
आरंभिक-इतिहास। भगवान् अरिष्टनेमि, कृष्ण और पाण्डव । उत्तर भारत के क्षत्रिय वंशोंमें हरिवंश मुख्य था । इस वंशके
राजाओं राज्य मथुगमें था. यद्यपि यादव वंश। इनके भादि पुरुष मगधकी ओर राज्य
करने थे । हरिक्षेत्रका आर्य नामक एक विदा पर अपनी विद्याधरी माथ अकाशम ग द्वारा चम्पानगामें पहुंचा था। उस समय चमानगर अपने राजाको खोने के कारण अनाथ हो रहा था । विद्य धर मार्य चापाका राजा बन बैठः । उसका पुत्र हरि हुमा, जो बड़ा पराक्रमी था। उसने अपने राज्यका खुब विस्तार किया। उसीके नामकी अपेक्षा उसका वंश · हरि' नामसे प्रसिद्ध हुमा । यद्यपि यह राज लोग विदेशी विद्याधर थे; परन्तु फिर भी उनको शस्त्रकारोंने क्षत्रिय संभवतः इसलिये लिखा है कि विद्याधरोंके भादि राजा नमि-विनमि भारतसे गये हुये पत्रिय पुत्र थे।