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संक्ति मेन इतिहास। नामक स्थानमे मोहन मोदडो जैसी और उतनी प्राचीन सामग्री उपलब्ध हुई । बस, जब हम उसके स्वतंत्ररूपये दर्शन करते है
और उसके इतिहासका प्रारम्भिक काल टटोलते हैं तो वहां भी धुंधला प्रकाश ही मिलता है। विद्वानोंका तो कथन है कि दक्षिण भारत के इतिहासका यथार्थ वर्णन दुर्लभ है। सर विन्सेन्ट स्मिथने लिखा था कि 'दृरवर्ती दक्षिण भारत के प्राचीन राज्य यद्यपि धनजन सम्पन्न भौर द्राविड़ जातिक लोगोंसे परिपूर्ण थे, परन्तु वे इतने अप्रगट थे कि शेष दुनियां को स्वयं उत्तर भारतके लोगोंको उनके विषयमें कुछ भी ज्ञान न था। भारतीय लेखकोंने उनका इतिहास भी सुरक्षित नहीं किया। परिणामतः भाज वहांका ईस्वी माठवीं शनान्दिसे पहले का इतिहास उपलब्ध नहीं है।'' एल्फिन्सटन सा० to retain their pro-Aryan features ; their preAryan languges, their pre-Aryan institutions." -Pillai's Tamil Antiquities. जैनशास्त्र में भी कहा गया था कि इस काल में दक्षिणभरतमें हो जैनधर्म जीवित रहेगा। क्या या उसके प्राचीन रूपका यातक है?
9-"The ancient kingdoms of the far south, although riob and populous, inhabited by Draridian nations......were ordinarily 80 secluded from the rost of the civilisod world, including northern India, that their affaire romained hidden from the eyes of other nations and native annalists being looking, their history provious to the year 800 of tho ohristian ora, has almost wbolly perished.......
-EEL p. 7.