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दक्षिण भारतका ऐतिहासिक-काल।
(प्राचीन खण्ड) मारतवर्ष के इतिहासका प्रारम्भ कबसे माना जाय ? यह एक
ऐसा प्रश्न है कि जिसका ठीक उत्तर भारतके इतिहासका माजतक नहीं दिया जासका है। विद्वाप्रारम्भ। नोंका इस विषयपर भिन्न मत है। भार
तीय विद्वान मार्य सभ्यताकी जन्मस्थली भारतभूमि मानने है और उसके इतिहासका आरम्म एक कल्पना. तीत समय से करते हैं। जैन शाम्ब मी इसी मतका प्रतिपादन करते हैं, किन्तु उनके कथनमें यह विशेषता है कि वे भारतभमिका मादि धर्म जैनधर्म और प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव द्वारा संस्थापित सभ्यताको मादि सभ्यता प्रगट कान है। जैन शामोंके इस कयनका समर्थन माधुनिक प्रतिहामिक खोजसे भी होता है। प्रो० हेल्मुख फॉन कामन मा युगपीय विद्वान जैनधर्मकी ही मारतका सर्व प्राचीन धर्म घोषित करने हैं।' उधर मातीय पुरातत्वसे यह स्पष्ट है कि वैदिक (ब्राह्मण, भायोंके मतिरिक्त और उनसे पहले भारतवर्ष एक सभ्य और संस्कृत जानिक लोग निवास करते थे। वे लोग अमुर, दाविड, नाग मादि नामोसे विख्यात थे और उनमें जैनधर्मका प्रवेश एक मत्यंत पाचीनकालमें ही होगया था। बनोंके प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषमदेव मुर, मसुर, नाग नादि द्वारा
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