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________________ पौराणिक काल। [२९ खान गोलकुन्डा मिल जाती है। इसलिये अश्मकदेश भाजकलका बरार और निजाम राज्यका कुछ अंश जितना था। उधर सुरम्यदेश भी मध्यप्रान्त, बरार और निजाम राज्यको अंशको मानेमें लिये हुये था, यह पहले ही लिखा जाचुका है। अतः दोनों देशों को एक अथवा एक देशवे दो भाग मानना युक्तिसंगत है। इस अवस्था पोदनपुर भारतकी पश्चिमोत्तर सीमापा नहीं मान! जामता । कवि धनपालने — भविष्यदत्त कथा में हस्तिनापुरके राजा और पोदनपुर के शासक युद्ध होने का उल्लम्व किया है। इन दोनों गज्योंक बीचमें कच्छ देशकी स्थिति वैसी ही थी जैसी कि गत यूरोपीय महायुद्धमे बलजियमकी थी । यह कच्छ देश सिंधुदेशक समीप स्थित कच्छ, नहीं हो सकत: क्योंकि वह दोनों राज्यों के बीचमें नहीं पड़ना । हो. यदि यह कच्छ देश ग्वालियर गज्यक नम्वरजिलेमें रहे हुये कच्छवाई क्षत्रियों का प्रदेश माना जाय, जिसका मानना टीक प्रतीत होता है. ना उसकी स्थिति दोनों गज्योंके ठीक बीचमें आजानः है। कवि धनपालन पोदनपुर नरेशको साकेन नगेन्द्र भी लिखा है, जिसका भाव यही है कि वह सात (अयोध्या) के गजवंशसे सम्बन्धित थे । पोदनपुर राजकुलके मादिपुरुष बाहुबलि साकेत. राजाके सुपुत्र और युवराज थे । कवि धनपारने पोदनपुरको मिंधुदेशमें लिखा है सो टीक है, क्योंकि भवन्नीके भासपासका प्रदेश सिन्धुनदीकी अपेक्षा मिन्धुदेश भी कहलाता था। अत: बाहुबलि 9-G. O. S., Vol. XX Intro:
SR No.010475
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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