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प्राथान।
[१२ इनमें मश्मक रम्यक, करहाट, महाराष्ट्र, मामीर, कोंकण, बनवास, मांध्र, कर्णाट, चोल, केरल मादि देश दक्षिण भारतमें मिलते हैं । इससे स्पष्ट है कि भ० ऋषभदेव द्वारा इन देशोंका अस्तित्व और संस्कार हुमा था । मत: दक्षिण भारतमें जैन धर्मका इतिहास उम ही समय अर्थात् कर्मममिकी आदिसे ही प्रारंभ होता है । इस अपेक्षा हमें उसे दो भागोंमें विभक्त करना उचित प्रतीत होता है अर्थात्:(१) पौराणिक काल:-इस अन्तरालमें भगवान ऋषभ
देवसे २१ वें तीर्थङ्का म• नमिनाथ तकका संक्षिप्त
इतिहास समाविष्ट होजाता है । (२) ऐतिहासिक काल:-इम अन्तराळमें उपरान्तके
तीर्थक्कगें और मानतक हुये महापुरुषोंका इतिहास गर्भित होता है। यह अन्तराल निम्न प्रकार तीन मागोंमें बांटना उपयुक्त है। अर्थान:(१) प्राचीनकाल (ई० पूर्व ५००० से ई० पूर्व १) (२) मध्यकाल ( सन् १ से १३०० ई.)
(३) अवांचीनकाल ( उपरान्त ) भागेके पृष्टोंचे इसी उपर्युक्त क्रममे दक्षिण माग्तक जैन इनि. हासका वर्णन करनेका उद्योग किया गया है। पहले ही पौगणिक काल' का विवरण पाठकों के समक्ष उपस्थित किया जाता है।