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________________ भान्ध-साम्राज्य (सन् २००६०), बम्बीर पाण्य (सन् ३१६६०) और जयवीर गज्य (सन् ३४३ ६०) ने राज्य किया था। इसके भागे इस माण्यवंशका पता नहीं चला।' पाण्यवंशकी एक दूसरी शाखा कारकनमें गज्याधिकारी थी। जिस समय तौला देशका शासन कारकलके पाण्य । कापिट्ट रग्गड कर रहा था, उस समय प्रजा उसके दुःशासनके कारण उस गई थी । भाग्यवशान कारकलमे हम्बुचके शासक जिनदत्तरायके बंशन मैग्य पाण्ड्य मडनिद्री नीर्थकी यात्रा करके मा निकले। दुखी प्रमाने उनसे जाकर अपनी दुख गाथा कही । भैरव पाण्याने हगाडको बुलाकर ममझाया, परन्तु उसपर उनके समझानेका कुछ भी मसर नहीं हुआ । हठात उन्होंने हंगडेको युदये परास्त कर उसके प्रदेशपर अधिकार जमाया । इनके उत्तराधिकारी कारक मारह और निम्नलिम्बित गामोंने वहां मकर राज्यशासन किया था। (१) पाख्य देबरम या पाण्ब चक्रवर्ती, (२) लोकनाय देवम्स. (३) वीर पाय देवग्स, (५) गमनाथ मरस, (५) मेररम मोडय. (६) बार पाण्ड्य भैरम बोय. (७ ममिनम पाण्यदेव, (८)हिरिव भैरवनय आडेय, (९.) हम्मरि मैग्वगय, १०)पांत्यप्प ओडेय, (११) हम्मर मेगवगवा (१२) गमनाय और (१३) वीर १-असिभा., मा. ३णि ३ पृष्ठ ९२ । २०४९३।
SR No.010475
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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