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संक्षिप्त जैन इतिहास ।
[ लेखक - बाबू कामनासारजी जैन । ] प्रथम भाग - यह ईश्वीसन पूर्व ६०० वर्ष से पहिले का इतिहास है। इसके ६ परिच्छेदोंमें जैन भूगोल में भारतका स्थान ऋषभदेव और कर्मभूमि, अन्य तीर्थंकर आदिका वर्णन है। थोड़ीसी प्रतियां बची हैं। मूल्य || )
दुसरा भाग: प्रथम खण्ड- यह ईश्वी सन् पूर्व छठी बनान्दीसे सन् १३०० नकका प्रामाणिक जैन इतिहास है । इसे पढ़कर मालूम होगा कि पहले जमाने में जैनोंने कैमी वीरता बतलाई थी । इसमें विद्वतापूर्ण प्राकथन, भ० महावीर, वीरसंघ और अन्य राजा, तत्कालीन सभ्यता और परिस्थिति, सिकन्दरका आक्रमण और तत्कालीन जैनसाधु, श्रुतकेबली, भद्रबाहु और अन्य बाचार्य, तथा मौर्य सम्राट् चन्द्रमुप्त आदिका १२ अध्यायोंमें विशद वर्णन है । पृष्ठ संख्या ३०० मृ० १ ॥ | | )
उरजा
दूसरा भागः द्वितीय खंड - इसमें अनेक महत्वपूर्ण ऐनिहामिक विषयोंका सप्रमाण कथन किया गया है। यथा - चौबीस तीर्थेकर, जैन धर्मकी विशेषता, दिगम्बर संघमेद, ३० की उत्पत्ति. तिर्योकी उत्पत्ति और इतिहास, उत्तरी भारत के राजा और जैनधर्म. मवालियर के राजा व जैनधर्म, मुनिधर्म, गृहस्थ धर्म, अजैनों की शुद्धि, जैन धर्मकी उपयोगिता आदि १२५ विषयोंका सुबोब और सप्रमाण कथन है । पृ० २०० मूल्य १०)
मेनेजर, दिगम्बर जैनपुस्तकालय - सूरत।