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८०] संक्षिप्त जैन इतिहास । प्रचारके अन्तराल काल तक उनके दर्शन ही मुश्किलसे होते हैं। म० बुद्धके ६० से ७० वर्षके मध्यवर्ती जीवन घटनाओंचा उल्लेख नहींके वरावर मिलता है। रेवरेन्ड विशप विगन्डेट सा. तो कहते हैं कि यह काल प्रायः घटनाओके उल्लेखसे कोरा है। (An almost blank) म० बुद्ध के उपरोक्त जीवनकालकी घटनाओं के न मिलनेका कारण सचमुच भगवान महावीरके धर्मप्रचारका प्रभाव है क्योकि यह अन्यत्र प्रमाणित किया जाचुका है कि जिप्ससमय भगवान महावीरजीने अपना धर्मप्रचार प्रारम्भ किया था, उस समय म० बुद्ध अपने 'मध्य मार्ग' का प्रचार प्रारम्भ कर चुके थे और मनुमानसे ४६ या १८ वर्षकी अवस्था में थे । अतः यह बिलकुल सम्भव है कि महाबीरनीका उपदेश इस अन्तराल कालमें इतना प्रभावशाली अवश्य होगया था कि म. बुद्धके जीवन के ६० वर्षसे उनकी जीवन घटनायें प्राय नहीं मिलती है। ___सामगाम सुतन्त' में भगवान महावीरनी के निर्वाण प्राप्तिकी खबर पाकर म० बुद्धके प्रमुख शिप्य आनन्द बड़े हर्षित हुये थे और बडी उत्सुकतासे यह समाचार म०. बुद्धको सुनानेके लिये दौड़े गये थे, इससे भी साफ प्रगट है कि म. गौतमवुद्धको महावीरजीके धर्मप्रचारके समक्ष अवश्य ही हानि उठानी पड़ी थी। क्योंकि यदि ऐसा न होता तो महावीरनीके निर्वाण पालेनेकी घटनाको बौड बड़ी उत्कण्ठा और हर्षभावसे नहीं देखते । भगवान महावीरके समक्ष म० बुद्धका प्रभाव क्षीण पडेनेमें एक और कारण
२-भमबु० पृ० १००-११० । २-सॉन्डर्स, गौतमबुद्ध पु. ५४ । ३-ममबु• पृ० १०१ । ४-डायोलॉग्स ऑफ बुद्ध मा०३ पृ० ११२ ।