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अन्य राजा और जैन संघ। [६१ तने अहंतोंकी पूजाके लिये स्थापित किया था। इस उल्लेखसे कोशाबीमें एक वृहत् जैन संघके रहनेका पता चलता है। यहींपर काश्यपी अर्हतोंके सं० १०मे आषाढ़सेनने एक गुफा बनवाई थी। वह आषाढ़सेन अहिच्छत्रके राजा शोनकायनके प्रपौत्र और राजा. वंगपाल व रानी त्रिवेणीके पौत्र थे। इनके पिताका नाम राजा भागवत था और इनकी मां वैहिदरी थीं। यह गुफा सन् १००२०० ई० पू० के लगभग बनी थी। यह प्रगट है कि अहिच्छत्रके राजाओंमे जैनधर्मकी मान्यता प्राचीन कालसे थी। साथ ही उक्त काश्यपी अर्हत शब्द भगवान महावीरका द्योतक प्रतीत होता है; क्योंकि भगवानका गोत्र काश्यप था । अतः यह संभव है कि उक्त गुफा जैनोंके लिये वनाई गई हो। ___ स्कंधगुप्तका लेख जो भिटारीके स्तम्भपर अङ्कित है, उसमें
लिखा है कि स्कंधगुप्तने पुष्पमित्रको विजय जैन राजा पुष्पमित्र । किया था। यह पुष्पमित्र सन् ४५५ में
राज्य कर रहा था। इस वंशका प्रारंभ सन् ७८ ई० से सन् ९३७ ई० तक चलता रहा था । इसका निकास कहांसे और कैसे हुआ था, यह कुछ ज्ञात नहीं है। राजा कनिप्कके समयमें यह वंश वुलन्दशहरके पास बस गया था और अपनेको जैन धर्मानुयायी कहता था। जैन शास्त्रोंसे इस समय विक्रमादित्य नामक एक प्रसिद्ध
सम्राट्का पता चलता है; यद्यपि इतिहासमें १-संप्राजैस्मा०, पृ०२५. २-संप्राजस्मा०, पृ० २८.३-बंप्राजैस्मा, पृ० १८७.