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संक्षिप्त जन इतिहास। आ घेरा; किंतु धनाला समक्ष उसकी दाल न गली । वह दो वा तक भृगुकच्छका घेग डालकर हताग पैठणको वापस चला गया। सालिवाहनका मंत्री नहयाणके यहा आरहा. उसने नहवाणका यन धर्मकार्यमे खूब व्यय कगया । अनेक वर्मस्थान बनवाये और खूब दान-पुण्य किया। मालिवाहनन भृगुकच्छपर फिर आक्रमण किया
और अबकी उमकी मनचती हुई । निर्द्रव्य नहवाण उसके नामने टिक न सका । हम मंग्राममे उनका मर्वथा नाग होगयो । आव
श्यक सूत्र भाष्यकी इस कथाको ममः श्री का प्रमादजी जायसवाल स्थूल रूपमे वास्तविक और तथ्यपूर्ण माननं हे ' । वह नहवाण ( नरवाहन ) को क्षत्रप नहवान और सालिवाहनको आन्ध्रवशीय गौतमी पुत्र शातकर्णी सिद्ध करते है, जिसकी राजधानी पैठण थी। नहपानके सेनापति ऋषभदत्त द्वारा लिम्वाये गये नामिक. वाले शिलालेखमे भृगुकच्छ, दगपुर. गोवर्धन और सुरपारक नामक नगरोंमे धर्मस्थानोंको बनवानेका भी उल्लेख है।
'गर्गसंहिता' मे शकोका अति लालची होना प्रगट है। नहपान ही भतवली जायसवालजी गौतमी पुत्र शातकणीको दी
प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य सिद्ध करने है
आचाये हुआ था। जिन्होंने ई० पूर्व ५८ मे गकोंकों परास्त
१-'सो विणहो, नट्ट नयरंपि गहिय' (संस्कृत-निद्रव्यत्वाननाश सा') इस पदसे नरवाहनकी मृत्यु हुई कहना ठीक नहीं जंचता। बल्कि नरवाहनके राजत्वका नाश हुमा मानना ठीक है। यह कथा 'जविमोसो' भा० १६ पृ० २८३-२९४ से उद्धृत की गई है।
2-Ep Ind VIII p 78. ३-जविमोसो० १६ पृ० २८४. .